राजस्थान में स्थित भानगढ़ का किला भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे डरावनी जगहों में से एक है। राजस्थान के अलवर जिले में स्थित इस किले का निर्माण 17वीं सदी में हुआ था। यहां कई तरह की भुतहा गतिविधियां होने की बात सामने आने के बाद सरकार ने सूरज डूबने के बाद किले में लोगों को एंट्री पर रोक लगा रखी है। इस किले में आने वाले लोगों ने कई बार यहां कुछ अजीबोगरीब चीजें होने की बात कही है।
ऐसा कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत सुंदर थी और इसी सुंदरता पर एक तांत्रिक भी फिदा था। जिस दूकान से राजकुमारी के लिए इत्र जाता था, वह उस दूकान में गया और उस बोतल पर जादू कर दिया जो राजकुमारी के लिए भेजी जाने वाली थी। राजकुमारी को बोतल मिली तो सही लेकिन एक पत्थर पर गिरकर टूट गई।
जादूगर ने ऐसा जादू किया था कि इत्र लगाने वाला उसे (जादूगर को) प्यार करने लगे। अब इत्र पत्थर को लगा था तो पत्थर ही जादूगर से प्यार में उसकी ओर चल पड़ा। पत्थर ने जादूगर को कुचल दिया लेकिन मरने से पहले उसने भानगढ़ की बर्बादी का श्राप दे दिया। कुछ वक्त के बाद एक युद्ध हुआ जिसमें भानगढ़ तबाह हो गया और यहां रहने वाले सभी लोग मारे गए।
एक और कहानी के मुताबिक यहां एक साधु रहते थे और महल के निर्माण के वक्त उन्होंने चेतावनी दी थी कि महल की ऊंचाई कम रखी जाए ताकि परछाई उनके पास तक ना आए। लेकिन बनाने वाले ने इस बात का ध्यान नहीं रखा और अपनी मर्जी से महल को बनाया। साधु ने गुस्से में श्राप दिया जिससे भानगढ़ तबाह हो गया। एक तीसरी कहानी के मुताबिक 1720 में भानगढ़ इसलिए उजड़ने लगा था क्योंकि यहां पानी की कमी थी।
1783 में एक अकाल पड़ा जिसने यहां रिहाइश को खत्म कर दिया और भानगढ़ पूरी तरह से उजड़ गया। भानगढ़ किला सत्रहवीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस किले का निर्माण मान सिंह के छोटे भाई राजा माधो सिंह ने करावाया था। राजा माधो सिंह उस समय अकबर के सेना में जनरल के पद पर तैनात थे। उस समय भानगड़ की जनसंख्या तकरीबन 10,000 थी। भानगढ़ अल्वार जिले में स्थित एक शानदार किला है जो कि बहुत ही विशाल आकार में तैयार किया गया है
चारो तरफ से पहाड़ों से घिरे इस किले में बेहतरीन शिल्पकलाओ का प्रयोग किया गया है। इसके अलावा इस किले में भगवान शिव, हनुमान आदी के बेहतरीन और अति प्राचिन मंदिर विध्यमान है। इस किले में कुल पांच द्वार हैं और साथ साथ एक मुख्य दीवार है। इस किले में दृण और मजबूत पत्थरों का प्रयोग किया गया है जो अति प्राचिन काल से अपने यथा स्थिती में पड़े हुये हैं।
फिलहाल इस किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है। किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम मौजूद रहती हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा सूर्यास्त के बाद इस क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के रूकने की मनाही है।