Astro Tips: हिंदू धर्म में अगरबत्ती जलाना अशुभ माना जाता है। इसका मुख्य कारण है कि अगरबत्ती में इंसेक्टिसाइड जैसे विषैले पदार्थ होते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा, अगरबत्ती जलाने से वातावरण में धुंआ उत्पन्न होता है, जो कि नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकता है।

वैदिक शास्त्रों में अगरबत्ती जलाने से जीवन शक्ति कम होने का भी वर्णन किया गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि पूजा के लिए धूप के स्थान पर गोबर या दही का दीपक जलाया जा सकता है जो शुभ होता है। इसके अलावा, पूजा के लिए आजकल अनेक विकल्प उपलब्ध हैं जैसे धुप, मोमबत्ती, और फूलों का उपयोग किया जा सकता है।

इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि अगरबत्ती जलाना अशुभ हो सकता है और इसके बजाय हमें शुभ पदार्थों का उपयोग करना चाहिए जो हमारे जीवन के लिए स्वास्थ्यवर्धक और प्रकृतिक होते हैं।

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हिन्दू धर्म में बांस के बहुत से महत्वपूर्ण उपयोग होते हैं जैसे कि पूजा, संस्कार, वस्तु निर्माण और खाद्य संचय आदि। बांस को भाग्यवर्धक माना जाता है क्योंकि उसमें आराम और सुख समृद्धि का अनुभव मिलता है। वंश वृद्धि के प्रतीक के रूप में भी बांस का उपयोग किया जाता है। बांस को वृद्धि का अंक माना जाता है।

अगरबत्तियों में बांस का उपयोग होता है जो कि धूप के साथ जलाई जाती हैं। हिन्दू धर्म में अगरबत्तियों को जलाने के कई परंपराएं हैं। इनमें से एक यह है कि बांस को भाग्यवर्धक और वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है इसलिए बांस से बनी अगरबत्तियों को जलाने से निर्धारित दिनों और समय पर बचना चाहिए। इसके अलावा, अगरबत्तियों के जलाने से उत्पन्न होने वाले धुएं के कुछ तत्व वातावरण को अशुद्ध कर सकते हैं।

बांस से बनाई जाने वाली अर्थी हिंदू धर्म के अनुसार उपयोग में लाई जाती है। अर्थी को मृतक की देह को जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, दाह संस्कार में बांस को जलाने से बचा जाता है क्योंकि दाह संस्कार में शव को दहन करने के लिए लकड़ी का उपयोग किया जाता है।

इसीलिए, पूजन में बांस से बनी अगरबत्तियों को नहीं जलाया जाता है क्योंकि यह शुभ नहीं माना जाता है। इसके बजाय, पूजन में समान्यतया घी और कपूर के दीपक जलाए जाते हैं जो पूर्णतया शुद्ध होते हैं और पूजा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं

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