वास्तु विद्या (Vastu Shastra) एक पुरानी विज्ञान है जो घर या किसी भी भवन के बाहर-भीतर की साज-सज्जा और उसकी बनावट के अनुसार उसके वास्तविक जीवन को प्रभावित करती है। वास्तु विद्या के अनुसार, भवन का निर्माण समझदारी से किया जाना चाहिए ताकि वह जीवन के सभी क्षेत्रों में सुख, समृद्धि और सफलता का द्वार खोल सके।

यदि आप अपने घर में वास्तु नियमों का पालन करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित सुझावों का पालन कर सकते हैं:

भवन के निर्माण में उचित मापदंड का उपयोग करें: वास्तु विद्या में, भवन की ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई का उचित मापदंड होता है। यदि आप इन मापदंडों का उपयोग करते हैं, तो आप अपने घर को समृद्धि, सफलता और स्थिरता के साथ बना सकते हैं।

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भवन की दिशा का ध्यान रखें: वास्तु विद्या में भवन की दिशा का बहुत महत्व होता है। यदि आप अपने घर को शुभ बनाना चाहते हैं, तो भवन की दिशा के अनुसार अपने घर को बनाएं।

वास्तुशास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा स्वास्थ्य, संतान एवं समृद्धि से संबंधित होती है। इसलिए उत्तर दिशा में बड़ा निर्माण होना चाहिए। वहीं पश्चिम दिशा निर्माण रहित होनी चाहिए क्योंकि पश्चिम दिशा में सूर्यास्त होता है और यहाँ निर्माण करने से समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। दक्षिण दिशा में निर्माण होने से उत्तम नहीं होता क्योंकि यहाँ अधिक गर्मी होती है और इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। पूर्व दिशा हल्की, खुली और साफ होनी चाहिए क्योंकि यहाँ सूर्योदय होता है और सूर्य की किरणें स्वस्थ और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत होती हैं।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, सोने का स्थान और उसकी दिशा व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव नहीं डालती हैं, लेकिन अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में इस विषय पर विभिन्न मत हैं।

यदि आप धन आगमन और स्वास्थ्य की दृष्टि से विचार करते हैं, तो आपको ध्यान देना चाहिए कि सही और अस्थायी उन्नति के लिए केवल दक्षिण या पूर्व में पैर करना या सिर रखना पर्याप्त नहीं है। आपको अपने आहार, व्यायाम, नींद, और अन्य जीवनशैली कार्यों का ध्यान रखना चाहिए जो स्वस्थ जीवन जीने में मदद करते हैं।

आप जिस भी दिशा में सोते हैं, उससे आपके स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता। आपको सुदृढ़ नींद और सुखद मनोवृत्ति बनाए रखने के लिए अपने बेहतर दिनचर्या के बारे में विचार करना चाहिए।

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