हिंदू धर्म में तिलक को बहुत महत्व दिया जाता है। तिलक का प्रयोग पूजा-अर्चना के समय व विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश जैसी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के समय किया जाता है। तिलक के प्रयोग से शरीर के मुख्य चक्रों का अच्छी तरह से चिकित्सा किया जा सकता है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। इसके अलावा, तिलक के रंग से व्यक्ति की प्रवृत्ति और व्यवहार भी प्रभावित होता है।

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हल्दी को एक प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है जो विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी हो सकती है। हालांकि, तिलक के माध्यम से हल्दी का संचार बढ़ता होना या आर्थिक स्थितियों में सुधार होना वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं है। अधिकांश धार्मिक मान्यताएं और कथाएं समाज और संस्कृति से जुड़ी होती हैं और अनेक बार वे आध्यात्मिक उन्नति और शांति के लिए उपयोगी होती हैं।

हल्दी का तिलक विशेष रूप से हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परंपरा है। हल्दी के एक तेजी से प्रभावी एंटीऑक्सिडेंट कुरकुमिन का माथे पर तिलक लगाने से सेहत बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। हल्दी के इस प्रभाव के अलावा, हल्दी का तिलक माथे पर लगाने से व्यक्ति के मन में शांति और सुख का अनुभव होता है। इसके अलावा, हल्दी का तिलक लगाने से कुंडली में मौजूद ग्रहों के प्रभाव को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसलिए, हल्दी का तिलक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रीति है जो स्वास्थ्य, शांति, सुख, और धन की प्राप्ति में मदद करती है।

हल्दी का तिलक हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और शुभ कार्य के लिए निकलने से पहले इसे लगाने की सलाह दी जाती है। हल्दी में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा हल्दी में कुछ विशेष तत्व होते हैं जो त्वचा को निखार देते हैं और उसे ताजगी देते हैं। इसलिए हल्दी का तिलक लगाना चेहरे की रंगत को निखारता है और चेहरे को ताजगी देता है।

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