Bihar: बिहार से लेकर बंबई, बंबई से लेकर लंदन तक का सफर तय करने वाले वेदांता ग्रुप के चैयरमेन अनिल अग्रवाल कभी खाली हाथ घर से आंखो में सपने लिए बंबई (मुंबई) शहर आए थे. अनिल अग्रवाल का जन्म 1954 में बिहार के राजधानी पटना में हुआ था. महज 14 साल की उम्र में अनिल ने अपने घर को अलविदा कह दिया था. जिसके बाद वह सपनों के शहर बंबई (आज का मुंबई) में अपना लक अजमाने आ गए, आज उन्हें दुनिया ’ब्रिटिश बिलिनेयर’ के नाम से जानते हैं.

अग्रवाल लगभग चार दशक पहले एक छोटे स्क्रैप धातु व्यवसाय चलाने से उठे और खनन और पेट्रोलियम में फैले व्यापारिक साम्राज्य के साथ भारत के सबसे धनी टाइकून (दिग्गज बिजनेसमैन) में से एक बन गए हैं। उन्होंने 1976 में शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन का अधिग्रहण किया। दस साल बाद, उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना की, जो 1993 में कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी स्थापित करने वाली भारत की पहली निजी क्षेत्र (प्राइवेट सेक्टर) की कंपनी बन गई। साल 2003 में अग्रवाल ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी एंट्री मारने के लिए लंदन में वेदांत रिसोर्सेज को शामिल किया.

अनिल अपने एक ट्वीट में कहते हैं कि ‘’लाखों लोग मुंबई में अपना लक अजमाने आते हैं, मैं भी उन्हीं में से एक हुं. मुझे याद है वो दिन जब मैं सिर्फ एक टीफिन बॉक्स, सोने के लिए गद्दा और आंखो में सपने लिए बिहार को छोरा था. उस समय में सबसे पहली बार विकटोरिया टरमि्नस स्टेशन पहुंचा, जहां मैनें काली-पीली टैक्सी, डबल डैकर बस और सपनों का शहर जो सिर्फ फिल्मों में देखा था’’.

बता दें, साल 1992 में अग्रवाल ने वेदांत फाउंडेशन की स्थापना की थी, जिसका मुख्य मकसद लोगों की मदद करना है। साथ ही उन्होंने बिल गेट्स से प्रेरित होकर अपने परिवार की 75 प्रतिशत संपत्ति दान में देने का निर्णय किया है।

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