केंद्र सरकार अगले साल की शुरुआत तक देश के हर जमीन के लिए 13 अंकों की पहचान संख्या शुरू करने की योजना बना रही है। रिपोर्टों के अनुसार जमीनों का डेटाबेस को कथित रूप से राजस्व अदालत रिकॉर्ड, बैंक विवरण के साथ आधार कार्ड के साथ भी जोड़ा जाएगा।
लोकसभा में पिछले सप्ताह पेश की गई एक संसदीय स्थायी समिति में इस योजना को रखा गया है। यह योजना Digital India Land Records Mediation Program (DILRMP) का भी हिस्सा है जो 2008 में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने पर कई बार विस्तारित हुई हैं।
भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति ने बताया कि, यूनीक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर (ULPIN) योजना इस साल पहले ही 10 भारतीय राज्यों में शुरू की जा चुकी है और मार्च 2022 तक इसे देश भर में लागू कर दिया जाएगा।
यह पहचान भूमि पार्सल के देशांतर और अक्षांश निर्देशांक पर आधारित होगी और समिति के अनुसार विस्तृत सर्वेक्षण और भू-संदर्भित कैडस्ट्राल मानचित्रों पर निर्भर है।